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  आपका शरीर कैसे काम करता है। जब सेक्स की बात आती है तो हर कोई अलग-अलग चीजें पसंद करता है, इसलिए इस बारे में चिंता न करें कि आप "सामान्य" हैं या नहीं।  लोग सेक्स कैसे करते हैं?  सेक्स एक आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। हो सकता है कि जो आपको अच्छा लगे वह किसी और के लिए सही न हो। जब यौन व्यवहार और इच्छाओं की बा त आती है तो हर कोई अलग होता है, लेकिन यहां कुछ सामान्य प्रकार की यौन गतिविधियां हैं: 1.अकेले या साथी के साथ हस्तमैथुन करना  2.मौखिक, योनि और गुदा मैथुन  3.चुंबन 4.अपने शरीर को एक साथ रगड़ना 5.सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करना  6.फोन सेक्स या "सेक्सटिंग"  7.पोर्न पढ़ना या देखना  लोग अलग-अलग चीजों से आकर्षित होते हैं, इसलिए आपको क्या पसंद है या क्या नहीं, इस बारे में संवाद करने से आपके साथी को पता चलता है कि क्या ठीक है और क्या बंद है।  क्या सेक्स आपके लिए अच्छा है?  एक स्वस्थ यौन जीवन आपके लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दोनों के लिए अच्छा है। सेक्स आपको किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाने में मदद कर सकता है, और यौन सुख के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं - चाहे आप क

What is Quantity theory of money in Hindi (मुद्रा परिमाण सिध्दान्त )

मुद्रा परिमाण सिध्दान्त , मुद्रा के मूल्य निर्धारण का अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत है। सामान्यतः यह धारणा है कि 16वीं शताब्दी मे इटली के अर्थशास्त्री दवन जत्ती (Davan zatti) ने सर्व प्रथम इस सिध्दान्त का प्रतिपादन किया। इस सिध्दान्त की क्रमबध्द व्याख्या अंग्रेज विचारक जॉन लॉक (john lock) ने 1691 मे की । इसके बाद समय समय पर इस सिध्दान्त मे संंशोधन किये गये।




1752 मे डेविड ह्यूम (David Hume) ने इस सिध्दान्त की व्याख्या की। उसके बाद एडम स्मिथ , रिकार्डो , जे. एस. मिल आदि प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री यो ने इस सिध्दान्त के सम्बंध मे अपने विचार व्यक्त किए। इस सिध्दान्त की आधुनिक एवं विस्तृत व्याख्या अमेरिकन अर्थशास्त्री इरविंग फिशर (Irving Fisher) द्वारा 1911 मे प्रकाशित उनकी पुस्तक "The Purchasing power of money" मे की गई है। इसीलिए इसे फिशर का परिमाण सिध्दान्त के नाम से जाना जाता है।

यदि मुद्रा की मात्रा को दुगना कर दिया जाए तो वस्तुओं के मूल्य पहले की तुलना मे दुगने हो जाए गे
औऱ मुद्रा का मूल्य आधा औऱ यदि मुद्रा की मात्रा को आधा कर दिया जाए तो वस्तुओं के मूल्य पहले से आधे रह जाएगे औऱ मुद्रा का मूल्य दुगना हो जाए गा ।।।

मुद्रा का मूल्य अपनी मात्रा कि विपरीत दिशा मे बदलता है। मुदु की मात्रा की प्रत्येक वृद्धि , उसके मूल्य को उसी अनुपात मे कम कर देती है तथा उसकी मात्रा की प्रत्येक कमी , उसके मूल्य को उसी अनुपात मे बढ़ा देती है।।।

मुद्रा का मूल्य अथवा उसकी क्रयशक्ती , उसकी मात्रा के विपरीत अनुपात मे बदलती है।।

उदाहरणार्थ , मुद्रा के परिमाण मे 10% वृद्धि होने पर मुद्रा का मूल्य 10% घट जाएगा तथा कीमत स्तर मे 10% वृद्धि होगी।।।। 

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