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  आपका शरीर कैसे काम करता है। जब सेक्स की बात आती है तो हर कोई अलग-अलग चीजें पसंद करता है, इसलिए इस बारे में चिंता न करें कि आप "सामान्य" हैं या नहीं।  लोग सेक्स कैसे करते हैं?  सेक्स एक आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। हो सकता है कि जो आपको अच्छा लगे वह किसी और के लिए सही न हो। जब यौन व्यवहार और इच्छाओं की बा त आती है तो हर कोई अलग होता है, लेकिन यहां कुछ सामान्य प्रकार की यौन गतिविधियां हैं: 1.अकेले या साथी के साथ हस्तमैथुन करना  2.मौखिक, योनि और गुदा मैथुन  3.चुंबन 4.अपने शरीर को एक साथ रगड़ना 5.सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करना  6.फोन सेक्स या "सेक्सटिंग"  7.पोर्न पढ़ना या देखना  लोग अलग-अलग चीजों से आकर्षित होते हैं, इसलिए आपको क्या पसंद है या क्या नहीं, इस बारे में संवाद करने से आपके साथी को पता चलता है कि क्या ठीक है और क्या बंद है।  क्या सेक्स आपके लिए अच्छा है?  एक स्वस्थ यौन जीवन आपके लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दोनों के लिए अच्छा है। सेक्स आपको किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाने में मदद कर सकता है, और यौन सुख के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं - चाहे आप क

What is Value of money in Hindi (मुद्रा का मूल्य)

सभी वस्तुओ एवं सेवाओं के मूल्य मुद्रा के रुप मे ही व्यक्त किए जाते है इसका मतलब वस्तु औऱ सेवाओं के मूल्य को मुद्रा मे मापा जाता है। लेकिन मुद्रा के मूल्य को अन्य वस्तुओं के मूल्य की तरह नही मापा जा सकता।  वास्तव मे मुद्रा का अपना कोई मूल्य नहीं होता, इसमें वस्तुओ तथा सेवाओ को प्राप्त करने की शक्ति होती है औऱ यही क्रय शक्ति ही मुद्रा का मूल्य कहलाती है।।।





मुद्रा का मूल्य मुद्रा की क्रयशक्ति होती है औऱ उसे वस्तु औ   के सामान्य मूल्य स्तर से जाना जा सकता है तथा मुद्रा के रूप मे जब तक कोई परिवर्तन नही होता , जब तक वस्तुओं औऱ सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर भी स्थिर रहते है।।

मुद्रा के मूल्य से हमारा आशय उन वस्तुओं की उस मात्रा से है जो सामान्य मुद्रा की एक इकाई के बदले मे प्राप्त  होती है।।

किसी विशेष स्थिति मे मुद्रा कि क्रयशक्ति, वस्तुओं औऱ सेवाओं की उस मात्रा पर निर्भर होती है जो मुद्रा की एक इकाई क्रय कर सकती है।।

मुद्रा मूल्य का आशय

।जैसे वस्तु बाजार मे वस्तुओं का क्रय विक्रय होता है, वैसे ही मुद्रा बाजार मे मुद्रा का भी क्रय विक्रय होता है।ऋणदाता मुद्रा का विक्रय करते है जबकि ऋणी मुद्रा का क्रय करता है। मुद्रा लौटने के समय ऋणी को मूल मुद्रा के अतिरिक्त मुद्रा के प्रयोग के बदले ब्याज भी देना होता है। यह ब्याज ही मुद्रा का मूल्य कहलाता है। यदि ब्याज दर₹rate अधिक है त़ो मुद्रा महंगी होती है औऱ यदि ब्याज दर कम है मुद्रा सस्ती होती है।

              मुद्रा स्वयं उपयोगी नही  होती। मुद्रा की उपयोगिता तो इस बात मे निहित है कि उसके बदले मे उपयोगी वस्तुओं व सेवाओं की प्राप्ति होती है। हम कह सकते है, मुद्रा की उपयोगिता उसके बदले मे प्राप्त होने वाली वस्तु औऱ सेवाओं के कारण होती हैं। यही मुद्रा की क्रयशक्ति है। अतः मुद्रा के मूल्य से अभिप्राय मुद्रा की क्रम शक्ति (purchasing power) से होता है।।।

मुद्रा के मूल्य को प्रभावित करनेवाले तत्व


मुद्रा के मूल्य को अन्य वस्तुओं के मूल्य की तरह नही मापा जा सकता। वस्तुओं औऱ सेवाओं के मूल्य को मुद्रा मे मापा जाता है परन्तु मुद्रा का मूल्य, मूद्रा मे व्यक्त न करके उसकी क्रयशक्ति मे व्यक्त किया जाता है ।। वस्तुओं औऱ सेवाओं के मूल्य स्तर मे परिवर्तन होने के कारण मुद्रा की क्रयशक्ति परिवर्तन होती रहता है, जिससे मुद्रा का मूल्य भी परिवर्तन होता रहता है।


 मुद्रा के मूल्य मे दो प्रकार का परिवर्तन हो सकता है..... या तो उसके मूल्य मे वृद्धि हो जाऐ अर्थात वस्तुओं के मूल्य स्तर मे गिरावट आ जाए अथवा मुद्रा के मूल्य मे कमी हो जाए अर्थात वस्तुओं का मूल्य स्तर बढ़ जाए।। first condition मे मुद्रा की क्रयशक्ति बढ़ जाती है तथा दूसरी(second condition) मे मुद्रा की क्रयशक्ति घट जाती है।।।।।।

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