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  आपका शरीर कैसे काम करता है। जब सेक्स की बात आती है तो हर कोई अलग-अलग चीजें पसंद करता है, इसलिए इस बारे में चिंता न करें कि आप "सामान्य" हैं या नहीं।  लोग सेक्स कैसे करते हैं?  सेक्स एक आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। हो सकता है कि जो आपको अच्छा लगे वह किसी और के लिए सही न हो। जब यौन व्यवहार और इच्छाओं की बा त आती है तो हर कोई अलग होता है, लेकिन यहां कुछ सामान्य प्रकार की यौन गतिविधियां हैं: 1.अकेले या साथी के साथ हस्तमैथुन करना  2.मौखिक, योनि और गुदा मैथुन  3.चुंबन 4.अपने शरीर को एक साथ रगड़ना 5.सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करना  6.फोन सेक्स या "सेक्सटिंग"  7.पोर्न पढ़ना या देखना  लोग अलग-अलग चीजों से आकर्षित होते हैं, इसलिए आपको क्या पसंद है या क्या नहीं, इस बारे में संवाद करने से आपके साथी को पता चलता है कि क्या ठीक है और क्या बंद है।  क्या सेक्स आपके लिए अच्छा है?  एक स्वस्थ यौन जीवन आपके लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दोनों के लिए अच्छा है। सेक्स आपको किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाने में मदद कर सकता है, और यौन सुख के बहुत सारे ...

What is Monetary Standard in INDIA in Hindi (मुद्रामान)

धातु मुद्रामान 

प्राचीन भारत मे सोने औऱ चांदी की मुद्राऔ का प्रयोग किया जाता था। इसका प्रमाण प्राचीन ग्रन्थो मे मिलते है। इतिहास से स्पष्ट होता है कि सन् 1835 मे जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत की बागडोर सम्भाली तो उस समय देश के विभिन्न भागों मे 994 प्रकार के विभिन्न वजन व शुध्दता वाले सोने औऱ चांदी के सिक्के का प्रचलन था। इस प्रकार सन् 1835 तक भारत मे द्वी-धातुमान प्रचलित था।।।





रजतमान

सन् 1835 मे ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने चलन अधिनियम currency act पारित कर अपने अधीन क्षेत्रों के अन्तर्गत प्रचलित सिक्को मे एकरूपता स्थापित की । एक तोला या 18 ग्रेन वजन वाले चांदी के सिक्के को प्रामाणिक सिक्का(प्रधान मुद्रा)घोषित किया गया। इस सिक्के मे 165ग्रेन शुध्द चांदी थी औऱ 15 ग्रेन खोट होता था।

पत्र मुद्रा तथा अन्य धातुओं के सिक्के भी चलन मे थे, जो चांदी मे परिवर्तनीय होते थे। 1873 तक रजतमान भारत मे सुचारू रूप से चलता रहा। इसके बाद , मैक्सिको मे चांदी की नई खानो का पता चला तथा अनेक देशों द्वारा रजतमान का त्याग कर स्वर्णमान या द्वि-धातुमान अपनाने के कारण रजत(चांदी) पूर्ति मे अधिक वृद्धि हो जाने से चांदी के मूल्यों मे बहुत गिरावट आ गयीं थी। जिसके कारण रजतमान को बनाए रखना कठिन हो गया। अतः  हर्शल कमेटी की सिफारिशों पर 1893 मे रजतमान का त्याग कर दिया गया।।।

अपूर्ण द्वि-धातुमान 

हर्शल कमेटी की सिफारिशों पर 1893 मे भारतीय मुद्रण अधिनियम पास किया गया , जिसके परिणामस्वरूप अपूर्ण द्वि-धातुमान की स्थापना हुई।


स्वर्ण विनिमयमान 

फाउलर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सन् 1900 मे भारत मे स्वर्ण विनिमयमान अपनाया गया। इसके अन्तर्गत देश के भीतर सोने के सिक्के प्रचलित नही थे। देश की आन्तरिक आवश्यकताओं के लिए रूपया स्वर्ण मे परिवर्तनीय था। Kendra Sarkar videshi bhugtaano Ke liye ek  nischith vinimay Dar Par deshi Mudra ke badle Sona deti thi.


Is maan ke antargat Bhartiya rupay  britist pound ke sath Jod Diya gaya tha तथा उसकी विनिमय दर 1श़ि. 4 पैसे प्रति रूपया निश्चित की गयीं। yeah vyavastha 1917 Tak Chalti Rahi.. 3 वर्ष बाद  1920 Main ise fir se 2शि. प्रति रूपये  ki vinimay Dar Par apnaya Gaya..... parantu is new Dar Ko apnayi Rakhna Sambhav na Hua Kyunki Janta dwara Notes ko gold mai badalne ki Mang bahut badh gayi thi isiliye Sarkar ko gold  Mein rupay  ki parivartansheelTa samapt kar deni Padi.... iss Prakar 1927 Mein Bharat Sarkar Ne Iss maaan ko tiyaag Diya.......


पत्र-मुद्रामान

प्रसीडेन्सी बैंकों द्वारा नोट-निर्गमन


19वीं शताब्दी से पूर्व भारत मे पत्र-मुद्रा का प्रचलन नही था। ब्रिटिश सरकार ने पत्र-मुद्रा निर्गमन का अधिकार सर्वप्रथम बैंक ऑफ बंगाल को दिया। बाद मे paper currency nirgaman Ka Adhikar Anya Presidency Bank Jaise Bank of Mumbai ,and Bank of Madras K Presidency Bank ko bhi mil gaya....


सरकार द्वारा नोट निर्गमन

सन् 1861 मे पत्र चलन अधिनियम बनाया गया। पत्र-मुद्रा निर्गमन का कार्य सरकार ने अपने हाथ मे ले लिया। 1861 मे नोट-निर्गमन हेतु निश्चित विश्वासाश्रित प्रणाली को अपनाया गया। औऱ सरकार ने

10,20,50,100,500,1000,औऱ 10000 रूपये के नोट निर्गमित किए।। बाद मे 5 रूपये का नोट भी निकाला गया।।।

हिल्टन यंग आयोग ki request per 1 April 1935 se note nirgaman Ka ekmatra Adhikar Reserve Bank of India ko de diya Gaya...isssne apne note ... 1938 se nikalna Shuru kiye Jinke bhugtan ki guarantee Sarkar Ne Di....1956 Tak Reserve Bank dwara Patra Mudra chhapna shuru kiya..

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