Featured Post

Sex

Image
  आपका शरीर कैसे काम करता है। जब सेक्स की बात आती है तो हर कोई अलग-अलग चीजें पसंद करता है, इसलिए इस बारे में चिंता न करें कि आप "सामान्य" हैं या नहीं।  लोग सेक्स कैसे करते हैं?  सेक्स एक आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। हो सकता है कि जो आपको अच्छा लगे वह किसी और के लिए सही न हो। जब यौन व्यवहार और इच्छाओं की बा त आती है तो हर कोई अलग होता है, लेकिन यहां कुछ सामान्य प्रकार की यौन गतिविधियां हैं: 1.अकेले या साथी के साथ हस्तमैथुन करना  2.मौखिक, योनि और गुदा मैथुन  3.चुंबन 4.अपने शरीर को एक साथ रगड़ना 5.सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करना  6.फोन सेक्स या "सेक्सटिंग"  7.पोर्न पढ़ना या देखना  लोग अलग-अलग चीजों से आकर्षित होते हैं, इसलिए आपको क्या पसंद है या क्या नहीं, इस बारे में संवाद करने से आपके साथी को पता चलता है कि क्या ठीक है और क्या बंद है।  क्या सेक्स आपके लिए अच्छा है?  एक स्वस्थ यौन जीवन आपके लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दोनों के लिए अच्छा है। सेक्स आपको किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाने में मदद कर सकता है, और यौन सुख के बहुत सारे ...

आखिर हमें कितना सेक्स करने की जरूरत है? How many times can we do sex in Hindi?

आखिर हमें कितना सेक्स करने की जरूरत है?




सेक्स...ये शब्द सुनते ही कोई मुंह छुपाने लगता है तो कोई मुंह बिचकाने लगता है। इंसानों के बीच जिस्मानी रिश्तों का मसला बहुत ही पेचीदा है। इसको साधारण तरीके से समझ पाना या बता पाना बेहद मुश्किल है। दुनिया में जितने तरह के लोग हैं, उतनी ही तरह की उनकी जिस्मानी ख्वाहिशें। उनसे भी ज्यादा उनकी सेक्स को लेकर उम्मीदें और कल्पनाएं। हर देश, हर इलाके यहां तक कि हर इंसान की शारीरिक रिश्तों को लेकर चाह एकदम अलग होती है।

अब जो मामला इतना पेचीदा हो उसमें सामान्य यौन संबंध क्या है, ये बताना और भी मुश्किल है। सेक्स के बारे में लोगों की पसंद का दायरा इतना अलग-अलग और बड़ा है कि पक्के तौर पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता।


 सामान्य 'सेक्स लाइफ' क्या है? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हमने कुछ आंकड़ों को देखा-समझा और कुछ मोटे-मोटे नतीजों पर पहुंचने की कोशिश की है। जैसे कि आखिर हमें कितना सेक्स करने की जरूरत है या फिर हम बिस्तर पर अपने साथी से कैसे बर्ताव की उम्मीद करते हैं।



हमारी इस कोशिश के नतीजे हम आपको बताएं, उससे पहले ये समझ लीजिए कि ये मोटे अनुमान हैं, कोई ठोस नतीजे नहीं। वजह साफ है। खुले से खुले समाज में रहने वाले लोग भी सेक्स के बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं। कुछ लोग सच को छुपाते हैं, तो कुछ, झूठे दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, हकीकत के तौर पर। तो, हमारी इन आंकड़ों को आप एक औसत अनुमान के तौर पर देखें। हम एक बार फिर बता दें कि किसी भी सर्वे से सेक्स के बारे में ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं।

सेक्स को लेकर ये सब सोचते हैं भारतीय? महिलाओं की भी है अलग सोच


पहला सवाल ये कि हम कितना यौन संबंध बनाना चाहते हैं?
इसके जवाब में हमने जिन आंकड़ों पर गौर किया उनके मुताबिक ये अलग-अलग इंसान की अलग-अलग जरूरत है। मगर दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें कभी भी सेक्स की जरूरत ही नहीं महसूस होती। ये आंकड़ा कुल आबादी का दशमलव चार फीसदी से तीन फीसदी तक हो सकता है। हालांकि मोटे तौर पर जानकार ये कहते हैं कि करीब एक फीसदी लोग, सेक्स में जरा भी दिलचस्पी नहीं रखते। हालांकि इन लोगों ने भी कभी न कभी यौन संबंध बनाया होता है।



इसके बाद आता है समलैंगिक संबंध में दिलचस्पी का। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में करीब पंद्रह फीसदीी लोग समलैंगिक संबंध बनाना चाहते हैं। इनमें औरतें भी हैं और मर्द भी।

ये आंकड़ा भी आपके सवाल के हिसाब से बदल सकता है। मसलन अगर आप आकर्षण या खिंचाव को पैमाना बनाएंगे तो दूसरा जवाब मिलेगा। पहचान की बात करेंगे तो अलग आंकड़ा मिलेगा। समलैंगिक बर्ताव की बात करेंगे तो ये आंकड़ा फिर बदल जाएगा।

मगर पंद्रह फीसदी इंसान समलैंगिक संबंध में दिलचस्पी रखते हैं, ये बात मोटे तौर पर मानी जाती है।

(ये आंकड़े साइकोलॉजी और सेक्सुएलिटी नाम की वेबसाइट के आंकड़ों पर आधारित हैं)


अगला सवाल आता है कि आप किससे जिस्मानी रिश्ते बनाते हैं?


इस सवाल के भी दिलचस्प जवाब सामने आए हैं। अक्सर ये माना जाता है कि कैजुअल सेक्स अक्सर दो अनजान लोगों के टकरा जाने से होता है। मगर सच्चाई इससे बहुत दूर है। जिस 'वन नाइट स्टैंड' की बहुत चर्चा होती है, असल में वो बहुत कम होता है। लोग ये भी सोचते हैं कि ऐसे रिश्ते सिर्फ युवाओं के बीच चलन में हैं। मगर, 2009 के एक अमरीकी सर्वे के मुताबिक, बुजुर्गों के बीच भी 'वन नाइट स्टैंड' के आंकड़े युवाओं के बराबर ही हैं। यानी आधी आबादी के लिए ये मामला जरा जटिल है।

जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन के मुताबिक, सबसे ज्यादा 53 परसेंट लोग, लंबे रिश्ते के साथी से सेक्स करते हैं। वहीं चौबीस फीसदी लोग कैजुअल पार्टनर के साथ रिश्ते बनाते हैं।

दोस्तों के साथ यौन संबंध बनाने वालों की संख्या 12 फीसदी कही जाती है। तो अनजान लोगों के साथ केवल नौ फीसदी लोग सेक्स करते हैं। सारे अंदाजे के विपरीत, यौन कर्मियों से केवल दो फीसदीी लोग यौन संबंध बनाते हैं। अगला सवाल जिसका जवाब हमने तलाशने की कोशिश की वो है कि आखिर हम कितनी बार सेक्स करते हैं?

अमरीका में हुए ग्लोबल सेक्स सर्वे के आंकड़े कहते हैं कि चालीस फीसदी लोग, हफ्ते में एक से तीन बार सेक्स करते हैं। वहीं 28 परसेंट लोग महीने में एक या दो बार। केवल साढ़े छह फीसदी लोग हफ्ते में चार या इससे ज्यादा बार जिस्मानी रिश्ते बनाते हैं। वहीं 18 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले एक साल में एक बार भी सेक्स नहीं किया है। आठ फीसदी ऐसे हैं जो साल में एक बार यौन संबंध बनाते हैं।


वैसे, बढ़ती उम्र के साथ सेक्स की चाहत कम होती जाती है। मगर इस सर्वे से एक सबसे चौंकाने वाली बात जो सामने आई वो ये कि कई ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो युवाओं से ज्यादा यौन संबंध बनाते हैं। कई तो महीने में दो बार और करीब ग्यारह फीसदी लोग हफ्ते में एक बार सेक्स करते हैं। जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन के मुताबिक, 86 फीसदी महिलाएं और 80 फीसदी मर्द, सामान्य यौन संबंध बनाते हैं। ये दावा अमरीका में हुए एक सर्वे की रिपोर्ट के हवाले से किया गया है। जिसमें 18 से 59 साल की उम्र के करीब दो हजार लोगों की राय जानी गई थी। इस सर्वे के मुताबिक 67 फीसदी महिलाएं और 80 फीसदी मर्द ओरल सेक्स करते हैं।


यौन संबंध बनाने में लगने वाले वक्त की बात करें तो सामान्य जोड़े इसमें पंद्रह से तीस मिनट खर्च करते हैं। इतना ही वक्त गे मर्द लेते हैं। वहीं, लेस्बियन महिलाएं यौन संबंध में सबसे ज्यादा तीस से चालीस मिनट लगाती हैं। वैसे एक बात और है। लेस्बियन महिलाएं, गे मर्दों या सामान्य जो़ड़ों के मुकाबले कम ही जिस्मानी संबंध बनाती हैं। ये दावा कनाडा और अमरीका में हुए एक सर्वे के हवाले से किया गया है
                                 


सेक्स की चर्चा हो और ऑर्गेज्म की बात न हो, ये कैसे हो सकता है?


आम तौर पर ये माना जाता है कि महिलाएं, झूठे ऑर्गेज्म के दावे करती हैं। अक्सर अपने मर्दों को खुश करने के लिए। कई बार इसलिए भी कि उनकी अहम् को चोट न पहुंचे। लेकिन, जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च कहता है कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं, कई बार मर्द भी ऑर्गेज्म को लेकर झूठ बोलते हैं।

महिलाओं में 'फेक ऑर्गेज्म' के दावे का आंकड़ा पचास फीसदी है तो मर्दों में इसका आधा यानी 25 फीसदी। जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च के मुताबिक मर्दों के झूठे ऑर्गेज्म की वजह कमोबेश अपनी महिला साथियों जैसी ही होती है। ताकि उनकी सेक्स पार्टनर को बुरा न लगे।


मन न होने के बावजूद कई बार मर्दों को सेक्स करना पड़ा तो उन्होंने ऑर्गेज्म का झूठा दावा किया, सिर्फ अपनी साथी का मन रखने के लिए। हालांकि ऐसा करने वाले मर्दों में से सिर्फ बीस फीसदी को ये लगता था कि उनकी महिला साथी भी ऑर्गेज्म को लेकर झूठ बोलती होगी। क्या हुआ? इन आंकड़ों के आधार पर आप सेक्स को लेकर और उलझ गए। इसीलिए, बेहतर होगा कि आप अपने तजुर्बे, अपने साथी की चाहतों को समझें, दूसरों की फिक्र न करें।


Popular Posts

उत्तर प्रदेश की सामान्य पिछड़ी और अनुसूचित जाति की सूची हिन्दी में। (General, OBC, ST, SC Caste List in UP in Hindi)

What is Gresham's Law in Hindi (ग्रेशम का नियम)

What is Importance of State Bank Of India in Hindi (भारतीय स्टेट बैंक)

What is Value of money in Hindi (मुद्रा का मूल्य)

What is Barter system in Hindi (वस्तु विनिमय प्रणाली)

What is Quantity theory of money in Hindi (मुद्रा परिमाण सिध्दान्त )

What is Pager ( Radio Paging System ) in Hindi रेडियो पेजिंग प्रणाली

Adam Smith Biography in Hindi (एडम स्मिथ कि जीवनी)

What is Commercial Bank ( व्यापारिक बैंक या वाणिज्यिक बैंक)

What is Makar Sankranti in India in Hindi ( मकर संक्रांति किसे कहते हैं )