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जाति जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी सन्तान स्वयं आगे सन्तान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), परन्तु क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं किन्तु किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे सन्तान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नस्ल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।
जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है
एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाली ऐसी भिन्न जातियाँ को, जिनमें जीववैज्ञानिकों को यह विश्वास हो कि वे अतीत में एक ही पूर्वज से उत्पन्न होकर क्रम-विकास (इवोल्यूशन) द्वारा समय के साथ अलग शाखों में बँट गई हैं, एक ही जीववैज्ञानिक वंश में डाला जाता है। मसलन घोड़े, गधे और ज़ेब्रा अलग जातियों के हैं किन्तु तीनों एक ही 'एक्वस' (Equus) वंश के सदस्य माने जाते हैं।
आधुनिक काल में जातियों की परिभाषा अन्य पहलुओं को जाँचकर भी की जाती हैं। उदाहरण के लिए आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) का प्रयोग करके प्रायः जीवों का डी एन ए परखा जाता है और इस आधार पर उन जीवों को एक जाति घोषित किया जाता है जिनकी डी•एन•ए छाप एक दूसरे से मिलती हो और दूसरे जीवों से अलग हो।
जातियों के वर्गीकरण के साथ पूर्वोल्लेखित समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित संख्या केवल नाम मात्र का मार्गदर्शन है। 2007 में, वे निम्नानुसार थे:
जातियों की कुल संख्या (अनुमानित): 7-100 मिलियन (ज्ञात और अज्ञात) सहित:
5-10 मिलियन बैक्टीरिया
74,000-120,000 कवक
यूक्रायेटे जातियों में से हमने केवल इनकी पहचान ही कर सके
1.6 मिलियन सहित:
297326 पौधों सहित:
15000 काई,
फर्न्स और 13,025 बारहमासी,
980 गायनोस्पर्म है,
258650 ऐन्जीओस्पर्म,
199350 द्विबीजी,
59,300 मोनोकोटाइलेडन,
9671 लाल और हरे शैवाल,
28,849 कवक और अन्य पशु विमुक्त सहित:
10,000 शैवाल,
16,000 मशरूम,
2849 भूरे शैवाल,
1250000 जानवर, सहित:
1203375 बिना रीढ़ वाले:
950.000 कीट,
81,000 घोंघा,
40,000 जलचर,
2175 मूंगे,
130200अन्य;
59,811 हड्डीवाले:
29,300 मछली,
6199 उभयचर जन्तु,
8240 साँप,
9956 पक्षी,
5416 स्तनधारी
वर्तमान में, ग्लोबल टेक्सोनोमी इनिशिएटिव, यूरोपियन डिस्ट्रीब्यूटेड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सोनोमी और सेन्सस ऑफ मरीन लाइफ (बाद वाला केवल समुद्री जीवों के लिए) टेक्सोनोमी सुधार का प्रयास कर रहे हैं और पहले से अज्ञात जातियों को टेक्सोनोमी सिस्टम को अमल में ला रहे हैं। इस सत्य के कारण कि हम जीव मण्डल में केवल कुछ प्राणियों को ही जानते हैं, फिर भी हमें अपने पर्यावरण के कामकाज की पूरी समझ नहीं है। प्रोफेसर जेम्स मेलेट के अनुसार हम नई जातियों की खोज के बावजूद मामलों को बद से बदतर बनाते जा रहे हैं और हम इन जातियों को अभूतपूर्व गति के साथ समाप्त करते जा रहे हैं। इसका मतलब यह भी है कि किसी नई जाति को प्राप्त करने से पहले इसका अध्ययन और वर्गीकरण किया जाना चाहिए, चूंकि हो सकता है कि वह पहले से ही विलुप्त हो चुकी हो।
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